What Is Cryptocurrency and Its History?

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Cryptocurrency आज पुरे दुनिया भर में सबसे चर्चित विषयों में से एक बन गई है। सुर्खियों से लेकर सोशल मीडिया की चर्चा तक, हमारी आंखों के सामने हो रही डिजिटल क्रांति को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है। लेकिन Cryptocurrency आखिर है क्या और यह कैसे अस्तित्व में आई? यही सब देख के, आज हम Cryptocurrency की अवधारणा, इसके आकर्षक इतिहास और यह वित्त के भविष्य को कैसे आकार दे रही है, इस पर गहराई से चर्चा करेंगे।
Bitcoin
Bitcoin Image: credit AIBC

What is Cryptocurrency?

(Cryptocurrency क्या है? )

मूल रूप से, cryptocurrency एक प्रकार की digital or virtual currency है जो लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए cryptography का उपयोग करती है। डॉलर या यूरो ( Dollar or euro ) जैसी पारंपरिक मुद्राओं के विपरीत, cryptography पूरी तरह से डिजिटल रूप में मौजूद होती हैं और इनका कोई भौतिक प्रतिरूप नहीं होता। cryptography को पारंपरिक मुद्रा से अलग करने वाली बात उनकी विकेंद्रीकृत प्रकृति ( Decentralized Nature ) है। अधिकांश cryptography ब्लॉकचेन ( Blockchain ) नामक तकनीक पर काम करती हैं, जो Computer (or “nodes“) के नेटवर्क द्वारा बनाए रखा जाने वाला एक वितरित खाता है। यह विकेंद्रीकृत संरचना बैंकों जैसे बिचौलियों की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे उपयोगकर्ताओं के बीच सीधे peer-to-peer लेनदेन संभव हो जाता है।
Blockchain Image
Cryptocurrency: credit blockchainmagazine

Features of Cryptocurrency:

( क्रिप्टोकरेंसी की विशेषताएं: )

1. विकेंद्रीकरण (Decentralization) : Cryptocurrency को किसी केंद्रीय प्राधिकरण (जैसे सरकार या वित्तीय संस्थान) द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है, बल्कि इसके बजाय यह एक विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर संचालित होती है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी एक इकाई का मुद्रा पर नियंत्रण नहीं हैं ।
2. सुरक्षा (Security) : Cryptocurrency लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफ़िक तकनीकों (cryptographic techniques) का उपयोग करती हैं, जिससे उन्हें बदलना या नकली बनाना बेहद मुश्किल हो जाता है। ब्लॉकचेन तकनीक (blockchain technology) का उपयोग सभी लेनदेन को पारदर्शी और अपरिवर्तनीय बनाकर सुरक्षा की एक और परत जोड़ता है।
3. गुमनाम (Anonymity): कई Cryptocurrency छद्म (Pseudo) नाम वाले लेनदेन की अनुमति देती हैं, जिसका अर्थ है कि उपयोगकर्ताओं की पहचान उनके वॉलेट पते से ज़रूरी नहीं है। इस सुविधा ने उन व्यक्तियों को आकर्षित किया है जो अपने वित्तीय लेनदेन में गोपनीयता को महत्व देते हैं।
4. वैश्विक पहुँच (Global Access): Cryptocurrency का उपयोग इंटरनेट कनेक्शन वाला कोई भी व्यक्ति कर सकता है, जिससे दुनिया के कम बैंकिंग वाले या बिना बैंकिंग वाले क्षेत्रों में लोगों के लिए वित्तीय अवसर खुलते हैं।
Bitcoin
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Dogecoin
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1.The Early Days of Digital Money (1980-1990) or (डिजिटल मनी के शुरुआती दिन 1980-1990)
डिजिटल मनी का विचार दशकों से चला आ रहा है। 1980 के दशक में, डेविड चाउम (David Chaum), ने एक क्रिप्टोग्राफर, “डिजिकैश(Digicash)” की अवधारणा पेश की, जो ऑनलाइन लेनदेन में गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई थी। जो  डिजिटल मुद्रा का एक रूप है। डिजिकैश केंद्रीकृत था, जिसका अर्थ है कि इसके लिए पारंपरिक बैंकिंग प्रणालियों की तरह ही एक केंद्रीय प्राधिकरण पर भरोसा करना आवश्यक था। अभिनव होने के बावजूद, इसने कभी महत्वपूर्ण गति नहीं पकड़ी
1990 के दशक में, एक अन्य डिजिटल मुद्रा, “ई-गोल्ड (e-gold)” ने कुछ लोकप्रियता हासिल की। ​​ई-गोल्ड को सोने के भंडार द्वारा समर्थित किया गया था और लोगों को डिजिटल रूप से सोना भेजने और प्राप्त करने की अनुमति दी थी। हालाँकि, इसे भी भरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा और अंततः 2000 के दशक के मध्य में इसे बंद कर दिया गया।
2.origin of bitcoin: A New Era Begins (2008-2009) or (बिटकॉइन की उत्पत्ति: एक नया युग शुरू होता है 2008-2009)
cryptocurrency के लिए वास्तविक मोड़ 2008 में आया, जब इसका नाम “सातोशी नाकामोटो (Satoshi Nakamoto)” ने उपयोग किया और उसके साथ ही लोगों के समूह ने अब प्रसिद्ध श्वेतपत्र प्रकाशित किया जिसका शीर्षक था “बिटकॉइन (Bitcoin)” और इस श्वेतपत्र में पैसे के एक नए  रूपरेखा दी गई थी जो विकेंद्रीकृत, सुरक्षित और सरकारी नियंत्रण से मुक्त होगा।
जनवरी 2009 में, नाकामोटो (Nakamoto) ने बिटकॉइन (Bitcoin) सॉफ्टवेयर जारी किया और सबसे पहले ब्लॉक (जिसे जेनेसिस ब्लॉक or Genesis Block कहा जाता है) का खनन किया, जिससे बिटकॉइन (Bitcoin) नेटवर्क प्रभावी रूप से लॉन्च हुआ। जेनेसिस ब्लॉक के संदेश में लिखा था : The Times 03/Jan/2009 Chancellor on brink of second bailout for banks,” जो 2008 के आर्थिक संकट का सीधा संदर्भ था और पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली की छोटी सी आलोचना थी। इसने एक नए आर्थिक प्रतिमान की शुरुआत को चिह्नित किया। बिटकॉइन (Bitcoin) का मुख्य नवाचार इसकी ब्लॉकचेन तकनीक थी, एक सार्वजनिक खाता जो सभी लेन-देन को विकेंद्रीकृत तरीके से रिकॉर्ड करता है। इसका मतलब था कि लेन-देन को मान्य करने के लिए किसी केंद्रीय प्राधिकरण की आवश्यकता नहीं थी – इसके बजाय शक्तिशाली कंप्यूटर का उपयोग करने वाले खनिक पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए ऐसा कर सकते थे।
3.Bitcoin’s Early Growth (2010-2013) or (बिटकॉइन का शुरुआती विकास 2010-2013)
बिटकॉइन (Bitcoin) से जुड़ा पहला वास्तविक दुनिया का लेन-देन 2010 में हुआ था, जब लास्ज़लो हैनीज़ (Laszlo Hanyecz) नामक एक प्रोग्रामर ने दो पिज़्ज़ा (Pizza) के लिए 10,000 BTC का भुगतान किया था। उस समय, बिटकॉइन (Bitcoin) का मूल्य बहुत कम था, लेकिन इस लेन-देन ने बिटकॉइन (Bitcoin) को भुगतान के रूप में उपयोग करने की क्षमता को प्रदर्शित किया।
अगले वर्षों में, बिटकॉइन (Bitcoin) का समुदाय लगातार बढ़ता गया। 2011 तक, अन्य क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency), जिन्हें ऑल्टकॉइन (altcoins) के रूप में जाना जाता है, जो उभरने लगीं। सबसे शुरुआती में से एक लाइटकॉइन(Litecoin) (चार्ली ली द्वारा बनाया गया) था, जिसका उद्देश्य बिटकॉइन के मूल्य में सुधार करना था।
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